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मैं और मैं
ये मेरे दो पहलू हैं
एक जो इस कोटर से बाहर
उड़ता है, घूमता है,
एक जो वास्तविक है
और घिरा हुआ है यंत्रों से,
घिरा हुआ है विज्ञान से
और मूर्खता के ज्ञान से।
मैं अपने दोनों पहलुओं से बातें करता
बातें करता कि तुम ऐसे क्यों हो?
बातें करता कि वह ऐसा क्यों नहीं?
उत्तर सदैव आता
कि तुम ऐसे क्यों हो? वह तो नहीं !
उत्तर आता
कि तुम जब बिना परों के हो
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