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सिकंदर को देख के चंद्रगुप्त मौर्य ने जब जुल्फे ली संवार,
नंद वंश धुएं में उड़ गया और पैदा हुए कुछ पढ़े लिखे गवार।
तक्षसिला को भी लगे पंख उड़ गया वो पंख पसार,
बिहार में आके गिर गया व्हाट्सएप ने दिया यह ज्ञान अपार।
गांधी नेहरू तर गए १९४७ में जब मिली ९९ साल की भीख,
राम जी कह गए सिया से २०१४ में पड़ी आज़ादी की बीज।
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ इतिहासकारों ने फोड़ लिए कपाड़,
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के द्वार से जब निकले कुछ पढ़े लिखे गवार।
कंगना संगना जब बज गए तर्क नामक रही ना कोई चीज,
नाथूराम गोडसे के लिए गांधी को रखना चाहिए था तीज।
ना रही नेहरू पटेल की दोस्ती ना रही भगत सिंह के धर्मनिरपेक्षता की बयार,
जब से पढ़ के निकले व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से कुछ गवार।
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