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अहद-ओ-पैमान किया एक दिन दिल से,
और चल पड़े तर्क-ए-मरासिम का हौसला लिए।
अब हर रात तकिए पे पड़े रहते हैं,
कभी नींद का सुकून लिए तो कभी तेरी यादों का सिलसिला लिए।
(- रोमिल)
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