तकिए पे पड़े रहते हैं's image
Poetry1 min read

तकिए पे पड़े रहते हैं

रोमिलरोमिल February 21, 2022
Share0 Bookmarks 81 Reads1 Likes
अहद-ओ-पैमान किया एक दिन दिल से,
और चल पड़े तर्क-ए-मरासिम का हौसला लिए।

अब हर रात तकिए पे पड़े रहते हैं,
कभी नींद का सुकून लिए तो कभी तेरी यादों का सिलसिला लिए।

(- रोमिल)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts