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कभी कभी उसकी रजा समझ आती नहीं,
दिल है जो मोम का यह जान के भी संभल पाती नहीं।
कुछ अच्छा ही लिखा होगा रब ने तेरी तकदीर में,
वर्ना ये जश्न-ए-शाम तेरे हाथ से जाती नहीं।
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