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नेता को सिर्फ मतदाता दिख रहे,
आम आदमी की जंग पहले की तरह ही जारी है,
नेता मेढक की तरह उछल रहे,
लगता है चुनाव की तैयारी है।
बेरोजगार रोजगार ढूंढ रहे,
आम आदमी महंगाई से मर रहे,
नेता अपना बगुला भगत,
मलाई की खोज में निकला शिकारी है।
लगता है चुनाव की तैयारी है।
नेता हमारे दलित के घर भोजन कर रहे,
आम आदमी बिन भोजन सिहर रहे।
नेता अपना चतुर लोमड़ी,
फोटो खिंचवाने की होड भारी है।
लगता है चुनाव कि तैयारी है।
सपा,बसपा,भाजपा में रहा न कोई भेद,
सफे
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