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आजादी के इतने सालों बाद ये है अपनी सफलता,
सर ए बाजार लुट रही है बेटियों की अस्मिता।
कौन सा समाज है ये जिसकी आंखें होती नही नम,
कृष्ण के नाम पे गांधारी बन गए हैं हम।
कौन से ये लोग हैं जिनको आती नही शर्म,
राम के मंदिर के नाम पे रावण बन गए हैं हम।
बेहयाई पे हलक से आवाज भी निकलती नही,
ना जान
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