Share0 Bookmarks 220171 Reads0 Likes
बिटिया अपनी फूल सी लागे,
वो है हमारी दुलारी,
आंच ना आने देते उस पर,
नाज़ों से पाले अपनी बेटी को,
संस्कारो से बांध दी है,
ना बोले कुछ ,चुप्पी भी सीखा दी है,
बेटी, जब तक हमारे पास है,
बनाके रखेंगे आँखो का तारा,
पता नही आगे ,कैसा रहेगा घर-गुज़ारा।।
साथ ही एक ओर सिख भी देते बेटी,
अभी के प्यार को तू भूल जाना,
मान- सम्मान से भी न रखना मोह,
पहन लेना संस्कार की माला,
अपनी खुशियो को भी कर देना तू किनारा,
लेकिन,मान ना घटाना अब तू हमारा,
प्रेम जो मिला हमसे वही है काफी,
उम्मीद ना अब तू जगाना।।
क्यों, छुई-मुई सी करते हो बेटियो की परवरिश,
बनने दो उन्हें आत्मनिर्भर, करन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments