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जिस के जज़्बात ने घायल किया है
उसी की याद ने पागल किया है
समुंदर हो गई आंखें किसी की
किसी ने जुल्फ को बादल किया है
यकीनन जीत तो उसकी ही होगी
जिसने छालों को चप्पल किया है
यहां बस्ती हुआ करती थी पहले
पलायन ने इसे जंगल किया है
ये कैसी होशियारी है कि जिसमें
सोने का बदल पीतल किया है
किसी ने फूल में काँटे चुभोए
किसी ने काँटो को मख़मल किया है
कोई पीछे नहीं कर सकता उसको
जिसको वक्त ने अव्वल किया है
किसी ने ओढ़ रक्खी है रजाई
किसी ने दर्द को कम्बल किया है
जो करता था सवारी हाथियों की
मुक़द्दर ने उसे पैदल किया है
मेरे हिस्से की तपती धूप को
मेरी माँ ने सदा आँचल किया है
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