कवि's image

कल्पना की आँच पर कविता बनाता

पत्थरों के मध्य से सरिता बहाता

कुंठित विस्मृत भाव को आवाज देकर

वेदना की भूमि में खुशियां उगाता


लेखनी से मौन को आवाज देता

अनकहे अनसुने की सुध लेता

चल रहा अविराम निज कर्तव्य पथ पर

प्रेम लेकर साथ में चढ़ धर्म रथ पर

बनकर प्रहरी सत्य की ज्योति फैलाता

कल्पना की आँच पर कविता बनाता


लेखनी है एक तपस्या साधना है

ज्ञान की पूजा है एक आराधना है

जो कलम को साध कर साधक बना है

स्याही से जिसने स्वर्णिम सच जना है

मन की ऊसर माटी को उर्वर बनाता

कल्पना की आँच पर कविता बनाता




No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts