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किसी गैर राह पे या......

Nitish RajNitish Raj February 5, 2023
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अंधेरा अपनी तमाम हसीन महक के साथ

एक दोस्त की तरह आकर

मेरे पास में बैठ जाता है,

और......

अपने तमाम दुखों के बावजूद

उस मंजर का जिक्र करता है,

जहां नदी निरंतर

तारों का अक्स लेकर आगे बढ़ती है,

मेरे सपनों को रौंदती हुई

मेरे विचारों के साथ लहराती हुई।

राह में पत्थरों से थपेड़े खाता

मेरा ‘मन’ लहू-लुहान

मुझसे ही पूछता है,

बता……

चलना है किसी गैर राह पे, या

जूझना है इसी खून से भरे संसार में

अपने....विचारों और सपनों के साथ।

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