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सुनो,
तुम्हें शायद लगता होगा,
आगे बढ़ गई हूं मैं,
पर आज भी
वो राहें पुकारती हैं मुझे
जिन्हें कल मिलकर पुकारते थे हम!
आज के ये ताजा खिले फूल
खुशबू नहीं देते
हां...
पर महक रहे हैं आज भी
मेरे दर ओ दीवार
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