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शिक्षित भारत बने हमारा, सबकी ये अभिलाषा थी,
पर आंखों में कितना पानी, कैसी किसकी भाषा थी।
कैसे कोई नींव बनाएं, कब अंधियारा जायेगा,
कैसे अनपढ़ इन रस्तों पे मंजिल तक चल पायेगा?
तब निकला सूरज कोने से, शिक्षा का संचार हुआ,
शिक्षित भारत के सपने को, शिक्षक ही आधार हुआ।
चलो आज मानस हृदय से, सब अभिनंदन करते हैं,
जय भारत, जय शिक्षित, शिक्षा, शिक्षक वंदन करते हैं।
~ नितिन कुमार हरित
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