Share0 Bookmarks 230409 Reads0 Likes
शिक्षित भारत बने हमारा, सबकी ये अभिलाषा थी,
पर आंखों में कितना पानी, कैसी किसकी भाषा थी।
कैसे कोई नींव बनाएं, कब अंधियारा जायेगा,
कैसे अनपढ़ इन रस्तों पे मंजिल तक चल पायेगा?
तब निकला सूरज कोने
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments