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बचपन, बुढ़ापा, कहीं पे जवानी,
समय लिख रहा है, अनेकों कहानी।
कहीं पे अनूठी हंसी लिख रहा है,
सृजन लिख रहा है, खुशी लिख रहा है
हिलोरें लिखीं हैं, लहर लिख रहा है,
समय हर घड़ी, हर पहर लिख रहा है।
वो रंग धीरे धीरे, कहीं भर रहा है,
हृदय में अंधेरे, कहीं कर रहा है,
कहीं कोंपलों को ही मृत लिख दिया है,
समय ने समय को भी आहत किया है।
समय के जले सब, समय को पुकारें,
समय ने दिये हैं, समय को सहारे,
समय ने समय से, समय की कही है,
समय सा कलमकार कोई नहीं है।
समय ने बनाई, मिटाई, निशानी,
समय लिख रहा है, अनेकों कहानी।
- नितिन कुमार हरित
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