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हरित वाणी : ४ फरवरी २०२३
सुन नैना, मत देखिये, बाहर भ्रम की रेख,
पलक ढाक, मन खोजिये, राम मिलेंगे देख।
सुन नैना, मत देखिये बाहर, बाहर भ्रम की झूठी नगरी,
भ्रम ही खाएं, भ्रम ही परोसें, भ्रम की बातें, भ्रम की गगरी,
मन के भीतर राम मिलेंगे, खोज, लगा दे शक्ति सगरी,
राम की दृष्टि, आन मिली तो, भीतर बाहर सब जग मग री।
~ नितिन कुमार हरित
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