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कितना चाहा था तुमको ये दर्द गवाह है,
हो ये ज़रा भी कम तो जीना बेवजहा है
लाख मिले रंग यूँ तो पर न कोई तुझसा चढ़ा ह
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कितना चाहा था तुमको ये दर्द गवाह है,
हो ये ज़रा भी कम तो जीना बेवजहा है
लाख मिले रंग यूँ तो पर न कोई तुझसा चढ़ा ह
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