रौशन चांद's image
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बादलों की ओट से झांकता है चांद आज,

इतना रौशन क्यूं हुआ सोचता है चांद आज,

ये किसी की याद है या खिले जज़्बात हैं, 

या कोई खिड़कियों से तक रहा है चांद आज।


लगता है डूबा हुआ किसी के इश़्क में चांद आज,

प्रियतमा की बालियां बन चमकता है चांद आज,

इश़्क में पहला ख़त लिख रहा है चांद आज,

या किसी के माथे को चूमता है चांद आज ।


मुस्कुराहटें भी इसकी आज हैं शरमाती हुईं,

इश़्क का इजहार कर चहक रहा है चांद आज,

चारों तरफ नूर अपना बिखेरता है चांद आज,

या किसी चांद का बन गया है प्रतिबिंब आज।


इश़्क के अरमानों को आसमां पे सजाता है चांद आज,

या वस्ल की तैयारी में रौशनी नहाता है चांद आज,

प्रेयसी से इतनी दूरी फिर भी मुस्कुराता है चांद आज,

इश़्क को कैसे निभाना ये गुर सिखाता है चांद आज ।


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