वक़्त कहाँ ...'s image
1 min read

वक़्त कहाँ ...

Nishant JainNishant Jain June 16, 2020
Share2 Bookmarks 258434 Reads4 Likes

वक़्त कहाँ अब कुछ पल दादी के किस्सों का स्वाद चखूं,

वक़्त कहाँ बाबा के शिकवे, फटकारें और डांट सहूँ।


कहाँ वक़्त है मम्मी-पापा के दुःख-दर्द चुराने का,

और पड़ोसी के मुस्काते रिश्ते खूब निभाने का।


रिश्तों की गरमाहट पर कब ठंडी-रूखी बर्फ जमी,

सोंधी-सोंधी मिट्टी में कब, फिर लौटेगी वही नमी।


जब पतंग की डोर जुड़ेगी, भीतर के अहसासों से,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts