
जंगल में भी फैल रहा था सचमुच क्रिकेट बुखार,
लोमड़-हाथी-भालू-बिल्ली, सब पर चढ़ा खुमार।
जंबो हाथी अंपायर थे, चेहरे थे सब खिलते,
छक्का लगने पर जब जंबो, खड़े-खड़े थे हिलते।
लोमड़ ने तरकीब निकाली, खोजी अद्भुत चाल,
बना दिया कीपर भालू को, कैसे निकले बॉल।
देख मैच राजा के भीतर जागा जोश अनोखा,
छीन बैट अड़ गए क्रीज पर, दिया सभी को धोखा।
किसकी हिम्मत इतनी, जो राजा को आउट कराए,
उड़ा के गिल्ली शेरसिंह को पवेलियन पहुँचाए।
शेरसिंह ने मजे-मजे में छक्के खूब जमाए,
डबल सेंचुरी जमा के भैया, सबके होश उड़ाए।
बोला बंदर बॉल मुझे दो, इसकी ऐसी-तैसी,
राजा होगा राजनीति में, यहाँ हेकड़ी कैसी?
बंदर ने जो स्विंग कराकर, बॉल एक बार घुमाई,
विकेट के पीछे तीन गिल्लियाँ, अलग ही नजर आईं।
बल्लू बंदर की हिम्मत की देनी होगी दाद,
शेरसिंह को सबक सिखाके दिलाई नानी याद।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments