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मुसलमान हो या हिंदू हों,
ईद सभी का है त्यौहार।
मिलकर सबको गले लगाएँ
भूल बैर बस झूमें-गाएँ,
आओ सुखविंदर-रोहित-क्रिस
आओ कविता और रुखसार।
गरम पकौड़े और पकवान
गजब जायके के सामान,
देख सिवइयाँ ललचाए हैं,
बच्चे आदत से लाचार।
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