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अंजाना इश्क part-4

Anushka RaghuwanshiAnushka Raghuwanshi June 26, 2022
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क्या में तुम्हारे साथ चलु दूसरी कम्पनी में बात करने के लिए पूजा सिया को कहती हैं 

" सिया- अगर तुम फ्री हो तो चलो मुझे तुमसे कोई दिक्कत नहीं है " 

पूजा- सिया क्या तुम्हें गुस्सा आ रहा है कि जिस नौकरी पर तुम्हारा हक था उसे मैंने ले लिया 

सिया- इसमें गुस्से की क्या बात है वो नौकरी शायद मेरे लिए बनी ही नहीं थी और जो चीज़ हमारी है ही नहीं उसे पाने की क्या खुशी और उसे खोने का भला क्या गम 

पूजा- तुम सही कह रही हो ना सिया तुम्हें सच मे गुस्सा नहीं आ रहा हैं 

सिया- नहीं पूजा और Please तुम इतना मत सोचो, चलो कुछ अच्छी बाते करते हैं क्योंकि अगर हम बुरा ही सोचते रहे तो ये जो अच्छा वक़्त है ना हमारे पास हम इसे खो देंगे, अच्छा बताओ की तुम्हारा बॉस कोन है पूजा 

पूजा- देखा तो उसे आज तक ऑफिस में किसी ने नहीं पर सब लोग बोलते हैं कि परदेश का कोई बड़ा आदमी है जुबिन उसी का छोटा भाई है जय जो एक नंबर का दुष्ट आदमी है वहीं बॉस है यहां का आया तो कभी नहीं यहां पर लोग उससे फिर भी डरते हैं यहां का उसका सारा काम समीर सर संभालते हैं जो शायद उनके दोस्त है 

सिया- अच्छा 

" दोनों बाते करते करते ऑफिस तक पहुंच जाती हैं सिया फिर से इंटरव्यू के लिए अंदर जाती है और बाहर आकर कहती है " 

यार पूजा यहां तो कोई जगह खाली है ही नहीं फिर इन्होंने हम सब को इंटरव्यू के लिए क्यों बुलाया है पता नहीं इन्हें लोगों का समय खराब करने में क्या मजा आता है 

दोनों बाते करते हुए बाहर निकलती है दोनों बातों में इतनी व्यस्त थी कि सामने कोन आ रहा है उन्हें कुछ नहीं दिखा और सिया एक लड़के में जाकर भीड़ गयी वो लड़का जोर से नीचे गिर गया उसे देख कर वहां आप पास के लोग ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे जिससे उस लड़के को बहुत गुस्सा आया उस लड़के का नाम अभिषेक था 

अभिषेक- ( सिया पर जोर से चिल्लाता है) ऐ you पागल लड़की तुम देखकर नहीं चल सकती क्या 

सिया- o हलों मैं पागल नहीं हूँ 

अभिषेक- अच्छा तो तुम अंधी हो 

सिया- मैं अंधी भी नहीं हूँ एक तो तुम खुद बिना सिंग के बेलों की तरह चल रहे थे और गिर गए तो अब मुझे आंखे दिखा रहे हो पागल कहीं के 

अभिषेक- तुम मुझे पागल कह रही हो

सिया- तो क्या मैं आपको समझदार कहु 

अभिषेक- तुम जानती नहीं हो शायद की किस से पंगा ले रहीं हो 

सिया- जानते तो जी आप नहीं है कि आप किस से बात कर रहे हैं आपके जैसे बहुत बैल आते हैं रोज गाँव में हमारे लेकिन किसी की इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई हमारे खेत में आ सके समझे आप 

अभिषेक- हाँ होगी भी कैसे उन बेचारे बैलों की तुम जैसी शैतान से उलझने की हिम्मत तुम्हारी सकल देख कर ही डर जाते होंगे बेचारे 

सिया- मेरी सकल में तो ऐसे बुराईयां निकाल रहे हो जैसे खुद

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