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सभी जीव
आत्मने
एक समान
रंग बिरंगी लेकिन
है दुनिया
सांसों का दौर
पिए अपान
छोड़े प्राण
सभी एक
समान
कोई मारे
छलांग लम्बी
कोई छोटी
चलना भूतल पर
कदम ही नापेंगे
दुरी तुम्हारी
कोई दूर गया
कोई.पास है
अपनी अपनी
सामर्थ्य है
कुढ़न क्यों
दिलों में
मन संवारों
फूल.से जिंदगी
भर जाएगी
फूलों से
कवि फोरम
रचना
निरंजन गौतम.दत्त
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