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महाराणा प्रताप की तलवार
(रचना-नीरज शर्मा)
मियान से निकाल असि राणा काटें अरि ऐसे,
भानु उदय काटे जैसे अंध बादलों के जाल को।
काटति लपक डंक नागिन अरि मुण्ड ऐसे,
चण्डी को रिझाएं जैसे दे मुण्डन की माला को।
चढ़ चेतक पे राणा असि काटे बाहुबली ऐसे,
करूं कैसे मैं बखान देख तेरी तलवार को।
काटती कटीली प्रतिभट काल सी कृपाण ऐसे,
काट काट काटे चढ़ावा देवे जैसे काल को।
काट काट काटे असि चाट चाट चाटे रक्त ऐसे,
पाट पाट पाटे पिल्लू जैसे रेशम की डोर को।
हाथ प्रताप नाचे कृपाण रण खेत दिखे ऐसे,
नाचता हो रूद्र स्वयं जैसे ताड़व के नाच को।
करता प्रणाम हाथ जोड़ महाराणा तलवार ऐसे,
चुंमे जैसे हाथ जोड़ 'नीरज' मंदिर के द्वार को।।
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