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"अलविदा 2021”
अब इस वर्ष को भी अलविदा..करने का वक़्त आ गया..
कुछ पूरी कुछ अधूरी.. ख्वाइशों को फिर नई करने का वक़्त आ गया.
ये साल सब के लिए ही...कुछ अलग सा था..
सिलसिलेवार चलते वर्षों से...काफ़ी विलग सा था.
कहीं हंसीन पल थे.... कहीं मीठे सपनों सी यादें..
कहीं ग़म से सराबोर... अनकहीं अधूरी बातें,
कहीं खुशियों का लहराता...नीला समंदर...
कहीं खौफ़.. जो दबे थे, हर इक मन के अंदर...
कहीं खुद से किये वादे...हाथों से फिसल...रहे थे...
कहीं वक़्त की नज़ाकत से..कई अपने... बदल रहे थे.
कुछ साथ चलते-चलते...राहें बदल गये..
कुछ उलझनों के डर से..वापस निकल गये.
ये साल कुछ अजीब था... गुस्ताखियों भरा..
ख़ुशी मिली कहीं....कहीं दु
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