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मुझे लगता है तुम्हारे जाने के बाद मैं उतना अकेला हो गया हूँ,
जितना एक कतार से बिछड़ी चीटी जो कि तब तक वापस कतार में नही आती जब तक तुम खुद लेने न आ जाओ
आजकल मैं ज्यादा जागता भी नही हूँ,
रात को जल्दी, खुद को किसी कोने में तेरी यादों के साथ छोड़कर विस्तर पर तन्हा सो जाता हूँ ।
कमबख्त सूरज भी रोशनी देता है, पर आग की तरह
अब वो वैसा नही है जब तेरे साथ हुआ करता था बिल्कुल बर्फ की तरह ठंडा और सुकूँ देने वाला ।
कितना मुश्किल है यू ख़ुद के साथ होकर भी तन्हा जीना
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