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समझ आने लगी है शादीशुदा मर्दों के मिसरों की तफ़सीरे
बाद निक़ाह ए बिल ज़बर
मय बेग़म मल्लिका ए बातूनी,
पाँव ए मर्द ए मिस्कीन में
पड़ गई कितनी सारी ज़ंजीरे,
कभी ना क़ाबिल ए बर्दास्त
और अज़ीब ओ ग़रीब नखरे,
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