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ख़ुदा की नज़र में एक सा हर बशर होता है
मुफ़्लिस हो के रईस_ए शहर_कोई
ख़ुदा की नज़र में एक सा हर बशर होता है,
इबादत हो के प्रार्थना या अरदास कही
नज़्र_ओ_नियाज़ की नीयत में क़सर होता है,
वरना दुआ ए बाद
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