सब्र-ओ-सुकूँ बशर को दिला सके वो जगह नहीं बनी's image
Poetry1 min read

सब्र-ओ-सुकूँ बशर को दिला सके वो जगह नहीं बनी

Nathuram KaswanNathuram Kaswan May 13, 2023
Share0 Bookmarks 15 Reads0 Likes

दुनिया-जहाँ के रंजो-ग़म भुला सके वो मय नहीं बनी

मुकम्मल तमाम ख़्वाहिशें करा सके वो शय नहीं बनी

सरज़मी के सिवाय बहिश्त नहीं बनी जन्नत नहीं बनी

सब्र-ओ-सुकूँ बशर को दिला सके वो जगह नहीं बनी

#बशर

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts