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माना कि कहीं भी कायनात से कुछ भी जुदा नहीं होता
ये भी तो सच है के ख़ला में कुछ भी तयशुदा नहीं होता
रोज-ओ-शब की इबादत से हम ही तो बनाते हैं उस को
मर्जीसे बशर यहाँ ख़ुदा भी ख़ुद-ब-ख़ुद ख़ुदा नहीं होता
डॉ.एन.आर. कस्वाँ #बशर
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