दीये की कांपती हुई लौ से तीरगी- ए-शब को हारना पड़ता है's image
Poetry1 min read

दीये की कांपती हुई लौ से तीरगी- ए-शब को हारना पड़ता है

Nathuram KaswanNathuram Kaswan April 30, 2023
Share0 Bookmarks 48960 Reads0 Likes

उजालों से अपनी शिकस्त को अंधेरों को स्वीकारना पड़ता है

दीये की कांपती हुई लौ से तीरगी- ए-शब को हार

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts