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ज़िन्दगी.......
जिने के लिए करीब अपने बुलाती क्यों हैं ज़िन्दगी......
आ जाएं जो पास ज़रा सा, रुलाती क्यों हैं ज़िन्दगी......
मिल भी जाए अगर किसीको यहां ख़ुशी नसीब से......
चुपके-चुपके होंठों से हंसी, चुराती क्यों हैं ज़िन्दगी......
अमीर अरमानों पर बरसाती रहे दौलत की बारिश......
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