शिउली's image
Share0 Bookmarks 194 Reads4 Likes
यदि कविताओं के पंख होते
वो विचरती स्वतः ही
लखनऊ की इमारतों से उड़कर
दार्जिलिंग की पब्लिक लाइब्रेरी में

श्वेत शीतल धुंध में 
तुम्हारे उँगलियों के बीच फँसे
सिगरेट के कश लेती
या अटक जाती सलीके से
तुम्हारे कोट के सिल्वर ब्रोच पर

No posts

No posts

No posts

No posts