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शब्द चुनते हैं हमें
स्वयं का अस्तित्व बचाये रखने के लिए
मैं चुनती हूँ प्रेम
स्वर्ग से पक्षियों की भाषा निचोड़ने के लिए
दिशाओं के अरण्यकांड में
इस टहनी से उस टहनी
उड़ता है प्रेम
तुम्हें मालूम है?
मेरे पँखों में तुम्हारा पता लिखा है।
~ नन्दिता सरकार
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