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ग़म है उसके जाने का मगर
बंधनमुक्त हो कर वो गया ।
नींद आती नहीं कहता था
अटूट निद्रा में अब सो गया।
दे गया कितनी यादें अपनी
कितनों के सपने संजो गया।
निशां कदमों के बाकी रह गए
वो खुद कायनात में खो गया ।
मरुथल में सब्ज़ बाग दिखते जो
वही तो खुशियों के बीज़ बो गया।
जिंदगी भर बांटी खुशियां उसने
बस जाते वक्त आंखें भिगो गया।
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