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हमने हर बार माना है सच, उनके बहाने को
अब कौन सा आईना बचा है टूट जाने को
अंधेरों ने लील लिया पूरी तरह उजालों को
अब कोई दिया भी नहीं है मेरे पास में जलाने को
दिन गुज़
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हमने हर बार माना है सच, उनके बहाने को
अब कौन सा आईना बचा है टूट जाने को
अंधेरों ने लील लिया पूरी तरह उजालों को
अब कोई दिया भी नहीं है मेरे पास में जलाने को
दिन गुज़
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