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कीचड़! हर बात को दिल से लगा कर, मन को अशांत करके, अपनी स्थिरता को ध्वस्त कर, उस पर प्रतिक्रिया देते हुए जब छपाक से उछल दूसरों के व्यक्तित्व पर छप जाता है तो मानो कीचड़ का जीवन
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