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रुपये-पैसों की अपनी निजी दुनिया नहीं।
मनुष्य ने उसे अपनी सुविधा के लिए स्थापित किया है। सजीव मनुष्य उसका मालिक होना चाहिए न की दास!
परन्तु अगर दास है
मनुष्य ने उसे अपनी सुविधा के लिए स्थापित किया है। सजीव मनुष्य उसका मालिक होना चाहिए न की दास!
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