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समय किसी की नहीं सुनता!
तो आवाज़ देने की बजाय बस जो समय मिल रहा है उसका सदुपयोग कर पलों को समेटते जाएँ।।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़, बटाला
तो आवाज़ देने की बजाय बस जो समय मिल रहा है उसका सदुपयोग कर पलों को समेटते जाएँ।।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़, बटाला
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