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रास्ते! अपनी मंजिल न पाने के गम में कभी मरते नहीं।
वरन् वे दूसरों को मंजिल तक पहुँचाने का साधन अवश्य बनने की कोशिश करते हैं।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़ बटाला गुरदासपुर
वरन् वे दूसरों को मंजिल तक पहुँचाने का साधन अवश्य बनने की कोशिश करते हैं।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
हिन्दी अध्यापिका
श इं ज सिं स मि स्कूल कोटला शर्फ़ बटाला गुरदासपुर
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