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मेरे आँखों में एक सागर है,
मेरे दो आंसुओं को देख तुम,
ना हमदर्दी जताना- ना घबराना
और ना ही हताश होना।
ये बहेंगे- शायद बहुत बहेंगे,
मेरे मन को भिगो देंगे,
और तेरे चित्त को भी व्याकुल करेंगे।
सपनों के टूट जाने से,
ज़िंदगी नहीं थमती।
आशा में विराम लगा है,
इरादे में नहीं, हम उठ खड़े होंगे,
कहीं और रुख़ करेंगे।
क्या करूँ तुम्हारा साथ यहीं तक था,
ये तो सच है ना कि,
सिर्फ़ तुमसे ही तो ज़िंदगी नहीं है,
मेरे ज़िंदगी में तुम हो, ये अहम है॥
…… मुकेश….
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