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तेरे दिल के किसी कोने में अपना घर बनाऊं तो
बिना दस्तक दिए आना अगर मैं याद आऊं तो
गलतफहमी सही लेकिन मुझे इतना बता दो तुम
क्या खुद तो रोक पाओगी अगर मिलने बुलाऊं तो
तेरे पहलू से गुजरेगी मेरी यादें सबा बनकर
उसे एक बार छू लेना अगर मैं याद आऊं तो
मुझे तुमसे मोहब्बत है अगर मैं बोल न पाया
समझ लेना इशारों से अगर नज़रे चुराऊं तो
तेरी दहलीज पर आकर मुझे वापस नहीं जाना
मुझे बाहों में भर लेना अगर मैं दूर जाऊं तो
- Muhammad Asif Ali (Indian Poet)
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