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आज फिर सितारों ने फरमाइश की
आज फिर जमीं पर चाँद आया है
ये किस्सा वही पुराना है
ये किस्सा आज फिर दोहराया है
यूँ हसरत-ए-दीदार में गुजारी है जिंदगी हमने
की आज तेरी तस्वीरों में भी सुकूं पाया है
चाँद सा महबूब है मेरा
या चाँद ने हुस्न महबूब का पाया है
ऐसे ना उलझता था मैं ख़यालों में
तेरे हुस्न-ए-दीदार ने भरमाया है
बादलों की गहराइयों में खोकर तुमने भी कुछ ख्वाब सजाया है
भूल बैठे हो हमको ऐसे शीशमहल में आशियाना बनाया है
चंद लम्हों की शोहरत पे इतरा रहे हो
जो मेरे अपनेपन को ठुकराया है
चाँदनी का गुरुर और ये सोहबत सितारों की
ये चमक भी तो 'सागर' ही लाया है
~सुरेश 'सागर'
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