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अपना प्यारा गांव

@mohanpoet@mohanpoet November 26, 2021
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"अपना प्यारा गाँव" 

ढूढ़ रहा हूँ शहर नगर में, अपना प्यारा गांँव ।
जहांँ थे सुंदर ताल बगीचे, और नीम की छांँव ।। 

घर होते थे कच्चे कच्चे, गोबर से लिपवाते थे ।
सोंधी सोंधी खुशबू पाकर, हिय आनंद समाते थे ।।
लालटेन के घेरे में सब, खूब पढ़ाई करते थे ।
अच्छे पढ़ने वालों की हम, खूब बड़ाई करते थे ।।
गुरुजनों प्रति रखते थे सब, सुंदर सुंदर भाव ।
ढूढ़ रहा हूँ शहर नगर में, अपना प्यारा गांँव ।।1।।

सुबह सुबह हम महुआ बिनकर, सबका भाग लगाते थे ।
जामुन बेरी आम तोड़ने, पेड़ों पर चढ़ जाते थे ।।
लकड़ी उपली चोरी करके, होली खूब जलाते थे ।
इसी बहाने अपनों अपनों, को हम रंग लगाते थे।।
कंचा खेलने में चलते थे, अपन

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