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हम बस निकलते हैं
लोगों में,चीजों में
ढूंढने
ख़ामियां,
हम जाते हैं।
माहौल को बनाने
खुशनुमा
पर मुलाकात हो जाती है
ख़ामियों से
यह होती है, अवस्था
अंतर्मन की इस कश्मकश में खुद से लड़ने निकल पड़ते हैं।
जो असहनीय पीड़ा देने वाला होता है।
लड़कर किसको क्या
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