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चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं
अपने प्यार की शुरुआत फिर से करते हैं
कहानी के कुछ पन्ने जो रह गए थे अधूरे
साथ मिलकर उन्हें फ़िर से लिखते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
हर बात को पूरा न करना जैसे आदत थी तुम्हारी
यही वज़ह थी जो रह गयी अधूरी कहानी हमारी
तुम जो बिना बोले समझाने की कोशिश करते थे
ख़ुद भी उलझ जाते और मुझे भी परेशान करते थे
तुम्हारी इस आदत में थोड़ा सुधार करते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
तुम लिखना उन बातों को जो कभी कह न सके
मेरे होकर भी कभी मेरे हो न सके
मेरे साथ तो थे तुम लेकिन पास नहीं
तुम्हारी कमी को बयां कर सकें
मेरे पास वो अल्फ़ाज़ नहीं
इस अधूरेपन को आज दूर करते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
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