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कीमत...एक बेटी होने की

mini POETRYmini POETRY June 16, 2020
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पूँछ बैठा आज मेरा साया मुझसे 

साथ हूँ मैं तेरे जबसे

देखा नहीं कभी तुझे मुस्कुराते हुए

क्या राज़ है आज बता दे मुझे,,

मैनें अपनी झुकी हुई नज़रें उठाते हुए कहा,,

सुन,मैं भी मुस्कुराना चाहती हूँ 

फूलों की तरह खिलखिलाना चाहती हूँ

चाहत है खुले आसमां में उड़ने की

अपनी बेरंग ज़िन्दगी में रंग भरने की

अरमां हैं मेरे भी कुछ अपने

खुली आँखों से देखे मैनें न जाने कितने सपने

वो नन्हे-नन्हे बच्चे जब बस्ता लेकर निकलते हैं

उन्हें देख कर मेरे क़दम भी आगे बढ़ते हैं

थाम लूँ इन नन्हे हाथों से कलम आज मैं भी

लिख दूँ एक नई दास्तां आज मैं भी

किन्तु रोक लेती हूँ फिर खुद को

ज़रा जोर से झकझोर लेती हूँ खुद को

फिर याद आता है कलम नहीं झाडू है हाथ में

और मुझे तो जीना है बस इसी के साथ मैं

जन्म लेते ही भुला दिया था मुस्कुराना मैंने

एक बेटी होने की यही कीमत अदा की है मैंने

एक बेटी होने की यही कीमत अदा की है मैंने,,


https://youtu.be/o9D1IW7QQ3c


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