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स्त्री का कही नहीं होता अपना घर,
जिंदगी बीत जाती है सम्बन्धों के भटकाव में,
जिंदगी बीत जाती हे सम्बन्धों के भटकाव म
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स्त्री का कही नहीं होता अपना घर,
जिंदगी बीत जाती है सम्बन्धों के भटकाव में,
जिंदगी बीत जाती हे सम्बन्धों के भटकाव म
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