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देखकर ऐसा लगता है हो रहा ,
धरती गगन का मिलन,
पर ऐसा कहां होता हैं
यह सिर्फ नजरों का धोखा है।
धरती को गगन छांव देता है,
दिन सूरज की गर्मी से तपता है,
रात में चांदनी की ठंडक देता है,
धरती की प्यास को वर्षा की बूंदों से बुझाता है ,
उसके आंचल में
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