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मेरे पिता जी मेरे मार्ग दर्शक रहे हैं,
उनके प्यार और दुलार से मेरा अस्तित्व कायम रहा है,
मेरी उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
दुनिया के रीति रिवाज के हिसाब से
जीवन जीने की प्रेरणा दिया।
मेरे पिता जी एक गणमान्य कवि चिंतक रहें हैं,
उनका सान्निध्य आदरणीय निराला जी के
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