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मेरे पिता जी मेरे मार्ग दर्शक रहे हैं,
उनके प्यार और दुलार से मेरा अस्तित्व कायम रहा है,
मेरी उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
दुनिया के रीति रिवाज के हिसाब से
जीवन जीने की प्रेरणा दिया।
मेरे पिता जी एक गणमान्य कवि चिंतक रहें हैं,
उनका सान्निध्य आदरणीय निराला जी के साथ सदैव रहा
और उन्होंने ने निराला जी को महाप्राण का सम्बोधन दिया
जो विश्व विख्यात है।
आज वो नहीं है फिर भी मेरे जीवन में,
उनका सहारा सदैव बना रहता है।
मै अपने पिता जी को शत-शत नमन करती हूं
ईश्वर से प्रार्थना करती हूं उन्हें अपने,
श्री चरणों में जगह दे।
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