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गजल "
हम तो हवा के झोंके है,
चलते है संभल-सभल कर,
दिल में जो खिची तस्वीरें,
उनकी खुशबुओं में रहते है,
हम मचल -मचल कर,
जब -जब कांटों भरी राहें,
हमको मिली उन राहों पर ,
हम रखते हैं कदम संभल-सभल कर,
जो नसीब में नहीं था वो हमको नही मिला,
हाध की रेखाएं पढ़ते हैं सिसक सिसक कर,
हम भी हवा के झोंके है।।।।।।।
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