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*बेटी का दर्द*
तुम अपने घर हो,
मै परदेश बसी तुमसे,
दूर बहुत हू मां,
तुम्हारे प्यार के खुशबू में,
रची बसी आंचल के छांव में,
बचपन बीता, खट्टी मीठी बातें ,
करके ख़ुशी मिलती थी बहुत मां,
संस्कारों में बंधकर बाबूजी अपने,
आंगन से हमको दूर किये,
पर मेरी यादों में बाबूजी,
रोते थे बहुत मां,
जब तुम लोगों की यादों में,
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